आप के वरिष्ठ नेता और दिल्ली के पूर्व शिक्षा मंत्री मनीष सिसोदिया ने कहा कि देश की शिक्षा व्यवस्था खंडहर होती जा रही है, इसके लिए बीजेपी-कांग्रेस जिम्मेदार हैं. आज दुनिया भर के देश अपने बच्चों को एआई में एक्सपर्ट बनाना सिखा रहे हैं और हम बच्चों को एआई मजदूर बनाने लायक भी शिक्षा नहीं दे रहे हैं. उन्होंने कहा कि आम आदमी पार्टी हमेशा शिक्षा पर काम करती आई है. हम जहां सरकार में हैं, वहां शिक्षा पर काम कर रहे हैं और जहां सरकार में नहीं हैं, वहां की सरकारों से शिक्षा व्यवस्था ठीक करने के लिए लड़ रही हैं.

मनीष सिसोदिया ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश के शिक्षा मंत्रियों का सम्मेलन बुलाया और उसमें उन्होंने बताया कि नई शिक्षा नीति के जरिए हम देश को नई उचांइयों पर ले गए हैं. लेकिन इस दावे की जमीन हकीकत कुछ और ही है. आज दुनिया भर के देश अपने बच्चों को किस युग के लिए तैयार कर रहे हैं और भारत अपने बच्चों को कौन से युग में मरने के लिए स्कूल भेज रहे हैं. पूरे देश ने राजस्थान के झालावाड़ में सरकारी स्कूल की छत गिरने का दृश्य देखा है, जहां 8 बच्चे अपनी जान गंवा बैठे.

झालावाड़ के सरकारी स्कूल का मुद्दा उठाया

मनीष सिसोदिया ने कहा कि इन बच्चों को अपनी जान इसलिए गंवानी पड़ी, क्योंकि एक सरकार मानती है कि उसके पास सरकारी स्कूल ठीक करने के लिए पैसा नहीं है. मुझे पूरा विश्वास है कि शिक्षा मंत्रियों के सम्मेलन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और शिक्षा मंत्री धर्मेंन्द्र प्रधान ने इस बात का जिक्र किया होगा कि नई शिक्षा नीति के बावजूद इस देश में झालावाड़ हो रहा है.

मनीष सिसोदिया ने कहा कि केंद्र सरकार ने नई शिक्षा नीति में लिखा है कि शिक्षा पर देश की जीडीपी का 6 फीसद खर्च होना चाहिए. जीडीपी का 6 फीसद तो बहुत बड़ी बात है, भारत सरकार अपने बजट का 2.50 फीसद भी हर साल शिक्षा पर खर्च नहीं करती है. भले ही केंद्र सरकार नई शिक्षा नीति के पांच साल पूरे होने पर जश्न मना रही है, लेकिन इन पांच सालों में शिक्षा पर 2.50 फीसद से अधिक बजट नहीं खर्च सकी है. इससे पहले कांग्रेस राइट टू एजुकेशन लेकर आई थी. दोनों ने ही अपनी पॉलिसी को देश भर में ठीक से लागू नहीं किया. पिछले 75 सालों में दोनों दलों ने शिक्षा के नाम पर देश को लूटने के साथ ही देशवासियों को धोखा दिया है.

जापान की शिक्षा का दिया उदाहरण

मनीष सिसोदिया ने कहा कि आज जापान पांचवीं कक्षा से अपने बच्चों को कोडिंग सिखाता है. दूर-दराज के गांव में भी कंप्यूटर और एआई लैब होती है. पांचवीं का बच्चा कोडिंग सीखता है और छठीं कक्षा का बच्चा एप बनाना सीख जाता है. आठवीं के बच्चे रोबोट पर काम करना शुरू देता है और 11वीं-12वीं में एडवांस और मशीन लर्निंग तक पहुंच जाता है. दूसरी तरफ, हम अपने बच्चों को टूटी हुई छतों के नीचे मरने को मजबूर कर रहे हैं.

मनीष सिसोदिया ने कहा कि कोरिया में छठीं कक्षा से बच्चे रोबोटिक्स पढ़ने लगते है. नौवीं क्लास से सारे बच्चों के लिए रोबोटिक्स क्लब अनिवार्य कर दिया जाता है. कोरिया ने सारे बच्चों के लिए एआई लैब बना रखी है. 11वीं-12वीं में बच्चे पार्टनरशिप में बड़ी-बड़ी टेक कंपनियों में ऐप और रोबोट बना रहा होता हैं. दूसरी तरफ, हमारे गांव के स्कूलों में 11वीं-12वीं के बच्चे कंट्रोल-सी, कंट्रोल-वी सिखाते हैं, पेंट करना और लाइन खींचना सीखते हैं.

चीन की शक्षा का भी दिया नजीर

मनीष सिसोदिया ने कहा कि चीन का सामान दुनिया के मार्केट में है. सारी दुनिया जानती है कि चीन के लोग अपनी मेहनत के दम पर आगे बढ़ रहे हैं. 2018 में चीन ने हाई स्कूल में एआई को पाठ्यक्रम का अनिवार्य हिस्सा बना दिया था. हम तो इसकी बात भी नहीं करते. हम इतिहास की चार किताबें छेड़़ कर खुश होना चाहते हैं और उस पर बहस कराना चाहते हैं. सिंगापुर में 11वीं-12वीं के सारे बच्चों को एआई, मशीन लर्निंग, साइबर सिक्योरिटी सिखा देते हैं.

मनीष सिसोदिया ने कहा कि हम शिक्षा में काम करने के बजाय सिर्फ बहस कर रहे हैं. हम टीचर ट्रेनिंग नहीं करा रहे हैं. सिंगापुर में 2018 के बाद से हर टीचर को 100 घंटे की एआई आधारित टीचिंग ट्रेनिंग अनिवार्य है. उन्होंने यह लक्ष्य पूरा किया. जबकि हम टीचर ट्रेनिंग के नाम पर कुछ भी नहीं करते. सिंगापुर के लोग अपने बच्चे को स्मार्ट सिटी बनाना सिखा रहे हैं और हम बच्चों को स्मार्ट बोर्ड तक नहीं दे पा रहे हैं.

अमेरिका में छठीं कक्षा से हर बच्चे के लिए एआई और रोबोटिक्स अनिवार्य है. वहां परीक्षाएं नहीं होती. प्रोजेक्ट्स के आधार पर बच्चे का आंकलन किया जाता हैं. अमेरिका के लोग अपने बच्चों को रोबोट बनाना और चालाना सिखा रहे हैं और हम जहां रोबोट पढ़ा भी रहे हैं, वहां रोबोट की परिभाषा रट कर परीक्षा में लिखकर पास कराना सिखा रहे हैं. अमेरिका में दसवीं के बच्चे एआई चैटबॉट बनाते हैं.

हमारा काम शिक्षा में सुधार-सिसोदिया

मनीष सिसोदिया ने कहा कि आम आदमी पार्टी शिक्षा पर काम करती है. हम पंजाब में सरकार में हैं, दिल्ली में सरकार में रह चुके हैं और कई राज्यों में हमारे विधायक हैं. लेकिन जिन राज्यों में आप सरकार में नहीं हैं, वहां हम सरकार में आने तक का इंतजार नहीं सकते कि सरकार में आएंगे तब काम करेंगे. आज स्कूलों में पढ़ रहे बच्चों की शिक्षा के लिए भी काम करेंगे और मौजूदा सरकार से लड़ेंगे. हमने इसकी रणनीति बनाई है. आप नहीं चाहती है कि हमारे बच्चे सिर्फ मजदूर बनें, हमारे बच्चे एआई मजदूर जितने भी खड़े न हों और वो एआई एक्सपर्ट पैदा कर रहे हैं.

आप के वरिष्ठ नेता और राज्यसभा सदस्य संजय सिंह ने कहा कि दिल्ली में हम 10 साल रहे और पंजाब में साढ़े तीन साल हो गए. आम आदमी पार्टी की बात करने पर बिजली और शिक्षा दो मुद्दे सबसे पहले याद आते हैं. फ्री बिजली, अच्छी शिक्षा, पानी सिर्फ आम आदमी पार्टी दे सकती है. पूरे देश में मोहल्ला क्लीनिक की बात करने पर सिर्फ आम की स्वास्थ्य सेवाएं? झालावाड़ में भाजपा याद आती है. उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश और हरियाणा में सरकारी स्कूल बंद करने पर भाजपा याद आती है. लेकिन अगर स्विमिंग पूल, हॉकी, एथलिट ग्राउंड से युक्त शानदार स्कूल की बात हो तो अरविंद केजरीवाल और मनीष सिसोदिया द्वारा दिल्ली में बनाए गए सरकारी स्कूल याद आते हैं.

दिल्ली के बाद पंजाब में शिक्षा क्रांति

इस दौरान पंजाब के शिक्षा मंत्री हरजोत सिंह बैंस ने कहा कि पंजाब की जनता ने आप को 117 में से 92 सीटें देकर ऐतिहासिक जनादेश दिया. 2022 में पंजाब के सरकारी स्कूलों की हालत खराब थी. 28 लाख में से 4 लाख बच्चे जमीन पर बैठते थे. उनके लिए फर्नीचर नहीं था. 8,000 से ज्यादा स्कूलों में चाहरदीवारी नहीं थी. 3200 स्कूल में वॉशरूम नहीं था. अगर था, तो इस्तेमाल लायक नहीं था. आज पंजाब में अब एक भी बच्चा जमीन पर नहीं बैठता, हर बच्चे के लिए फर्नीचर है.

आज हर सरकारी स्कूल की बाउंड्री है? साफ-सुथरा वॉशरूम है. आज पंजाब देश का इकलौता राज्य है, जिसके हर स्कूल में वाई-फाई है, हर स्कूल में साफ पीने का पानी है. हमने सिक्योरिटी गार्ड्स रखे. देश में कहीं सरकारी स्कूलों में सिक्योरिटी गार्ड्स नहीं होंगे. सीनियर स्कूलों में कैंपस मैनेजर रखे.